1800 करोड रुपए की ड्रग जप्त करने पर एजेंसियों को बधाई – दिग्विजय सिंह

राजधानी भोपाल से सटे बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में घुसकर करीब 1800 करोड रुपए कीमत की ड्रग्स जप्त करने की कार्रवाई करने पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने गुजरात पुलिस तथा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को बधाई दी है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश की राजधानी में शासन की नाक के नीचे विगत 6  माह  से एक फैक्ट्री में ड्रग्स बनाकर सप्लाई की जा रही थी और मध्य प्रदेश पुलिस को कोई भनक तक नहीं लगी थी
सिंह ने आरोप लगाया कि दरअसल मध्य प्रदेश की पुलिस का अपराधियों को खुला संरक्षण है। पुलिस की मिलीभगत से पूरे प्रदेश में ड्रग माफिया से लेकर शराब माफिया तक फल फूल रहे हैं । हफ्ता वसूली एक संगठित अपराध में तब्दील हो गई है। भोपाल के मेनिट में पढ़ने वाले आदित्य सुहाने की आत्महत्या के मामले में उसके परिजनों ने कॉलेज में ड्रग तस्करी की आशंका जताई थी
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि गुजरात पुलिस की एटीएस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यदि जाल बिछाकर यह छापामारी नहीं करते तो मध्यप्रदेश पुलिस ऐसे जघन्य अपराधों से बेखबर थी। अफीम गांजे की तस्करी आज पुराने दौर की बात हो गई है । अब तो अत्याधुनिक ड्रग्स की तस्करी का मध्य प्रदेश केंद्र बनते जा रहा है। करीब 1800 करोड रुपए की ड्रग्स के मामले में दो सरगनाओ के साथ जो तीसरे व्यक्ति मंदसौर का हरीश आंजना पकड़ा है वह भाजपा के एक वरिष्ठतम नेता से जुड़ा है। इस नेता का सरकार से सीधा संबंध है
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से कहा है कि गुजरात एटीएस और नारकोटिक्स ब्यूरो को इस सफलता पर बधाई देने के साथ-साथ मध्यप्रदेश पुलिस के संरक्षण में प्रदेश के लाखों नौजवानों का जीवन बर्बाद करने वाले ड्रग तस्करों पर सख्त कार्रवाई की जाना चाहिए ।प्रदेश के नौजवानों को शैक्षणिक परिसर से लेकर चौक बाजारों में सभी तरह के नशे के पदार्थ आसानी से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सैकड़ों करोड़ की कीमत वाली ड्रग भोपाल में पकड़ी गई तब भोपाल की पुलिस क्या कर रही थी? भोपाल पुलिस आयुक्त सहित अन्य जिम्मेदार अफसरों पर इस मामले में जांच बिठाई जानी चाहिए। भोपाल की पुलिस इतनी बड़ी तस्करी से कैसे  अनजान रह सकती है। खुफिया तंत्र की यह नाकामयाबी पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। सिंह ने कहा कि जिलों में ईमानदार छवि वाले पुलिस कप्तान और थानों में सख्त थानेदार तैनात कर ही प्रदेश को नशे की गिरफ्त से बचाया जा सकता है
दिग्विजय ने केन्‍द्रीय मंत्री प्रधान को लिखा पत्र
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को भोपाल के प्रतिष्ठित मैनिट कॉलेज परिसर में छात्र आदित्य सोहने द्वारा आत्महत्या किये जाने के मामले को संज्ञान में लाते हुए पत्र लिखा।
पूर्व सीएम ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से विशेषज्ञों की एक जांच समिति गठित की जाये। इस समिति की अनुशंसा के आधार पर कड़े सुधारात्मक कदम उठाये जाये। आपके निर्णय से इस राष्ट्रीय संस्थान की साख प्रभावित होने से बच सकेगी।
प्रिय धर्मेन्द्र प्रधान जी
मैं भोपाल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के बारे में कुछ जानकारी सांझा कर निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग करता हूँ। गत दिवस दतिया निवासी और मैनिट में अध्ययनरत एक छात्र ने आत्महत्या कर जीवन लीला समाप्त कर ली। इस घटना के कुछ माह पहले एक छात्रा भी ऐसा कदम उठा चुकी है
हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आजादी के बाद देश में प्रौद्योगिकी के विकास के स्वप्न को पूरा करने के लिये इन संस्थानों की स्थापना की थी। पहले यह संस्थान क्षेत्रीय तकनीकी महाविद्यालय के नाम से प्रारंभ किये गये। भोपाल में एम.ए.सी.टी. के नाम से यह संस्थान 1960 में प्रारंभ किया गया। इस संस्थान का नाम देश के पहले शिक्षा मंत्री मशहूर शिक्षाविद मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के नाम पर रखा गया
विगत 65 वर्षों की असाधारण उपलब्धियों के सहारे मध्यप्रदेश की शान बने इस संस्थान ने हजारों की संख्या में ऐसे इंजीनियर्स तैयार किये। जिन्होने देश और दुनिया में संस्थान का नाम रोशन किया। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी के कार्यकाल के दौरान इस प्रतिष्ठित संस्थान का उन्नयन कर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) कर दिया गया। यहाँ से पढ़कर निकलने वाले हजारों छात्रों ने देश के विकास में महती भूमिका निभाई है। यहाँ के छात्रों ने राजनैतिक, प्रशासनिक, तकनीकी और औद्योगिकी क्षेत्र में सफलता के नये आयाम स्थापित किये है
विगत कुछ समय से इन राष्ट्रीय स्तर के संस्थान मैनिट में अनेक अप्रिय घटनाएं हुई है। रेगिंग के मामलों से हटकर कुछ छात्रों ने अज्ञात कारणों से आत्महत्या करने जैसे कदम उठाये है। हाल ही में आदित्य सोहाने नामक होनहार युवक ने यह आत्मघाती कदम उठाकर घर, परिवार, समाज और संस्थान से जुड़े जिम्मेदार लोगों को झंझकोर दिया है। यह घटना मैनिट केम्पस में ही स्थित हॉस्टल के एक कमरे में घटित हुई। इस सदमे को झेलने वाले आदित्य के परिजनों ने कॉलेज परिसर में ड्रग्स सप्लाई होने का आरोप लगाया है। अपने परिवारों को छोड़कर दूर-दूर से इस संस्थान में पढ़ने आने वाले अबोध बच्चों को कुछ असामाजिक तत्व नशे का आदि बना रहे है। सुनहरे भविष्य का सपना देखकर मैनिट में पढ़ने आने वाले किशोर उम्र के छात्र गलत संगत में पड़कर बिगड़ रहे है। उनके माता पिता इन सब गतिविधियों से अनजान है
भारत सरकार द्वारा इस संस्थान का संचालन एक ‘‘स्वशासी निकाय’’ के रूप  में किया जा रहा है। मेरी मांग है कि शिक्षा मंत्रालय की ओर से विशेषज्ञों का एक जांच दल गठित कर ‘‘मैनिट’’ परिसर में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों की विस्तृत जांच कराई जाये। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ड्रग्स की आपूर्ति होने जैसे मामलों में सख्ती से निपटा जाये। स्थानीय पुलिस का दल भी लगातार निगरानी कर ऐसे गिरोह की धरपकड़ करे। भारत सरकार और राज्य सरकार यदि ऐसे मामलों को रोकने के लिये कदम नही उठायेगी तो उन पालकों का संस्थान पर से भरोसा उठने लगेगा जो सारे देश, कस्बों और शहरों से आकर अपने कलेजे के टुकड़ों को मैनिट प्रशासन के भरोसे छोड़ जाते है
दतिया निवासी आदित्य सोहाने द्वारा की गई आत्महत्या एक ऐसी केस स्टडी है जो संस्थान केम्पस में हो रही संदिग्ध गतिविधियों से पर्दा उठायेगी। आदित्य होनहार होने के साथ-साथ सम्पन्न घर से था, कुछ माह बाद केम्पस से चयन होकर परिवार का नाम रोशन करता इसके पहले ही परिवार के आदित्य का उदय से पहले ही अस्त हो गया और हमेशा-हमेशा के लिये घर में अंधकार छोड़ गया। परिवार के हिस्से में आदित्य का पार्थिव शरीर ही आया। यह दुखद प्रसंग हमें भविष्य के लिये सुधारात्मक और प्रतिबंधात्मक जैसे कड़े कदम उठाने के लिये मार्ग प्रशस्त कर रहा है। ताकि फिर कभी किसी मॉ का लाल आदित्य जैसा कदम न उठा सके
मेरा आपसे अनुरोध है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से विशेषज्ञों की एक जांच समिति गठित की जाये इस समिति की अनुशंसा के आधार पर कड़े सुधारात्मक कदम उठाये जाये आपके निर्णय से इस राष्ट्रीय संस्थान की साख प्रभावित होने से बच सकेगी
सहयोग के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा
सादर,
आपका
(दिग्विजय सिंह)
श्री धर्मेन्द्र प्रधान जी
माननीय मंत्री,भारत सरकार,
शिक्षा मंत्रालय, शास्त्री भवन,
नई दिल्ली 110001

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