आर.टी.आई. कानून का माखौल बना रही मध्यप्रदेश सरकार – दिग्विजय सिंह

मध्यप्रदेश में सूचना के अधिकार का उपयोग कर शासकीय विभागों से जानकारी प्राप्त करने की जद्दोजहद करने वाले भटक रहे है, क्योंकि राज्य सरकार सूचना आयुक्तों के रिक्त सभी पदों को भरने में रूचि नहीं दिखा रही है। उक्त आरोप लगाते हुये मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि शीघ्र बैठक कर सूचना आयुक्त के सभी रिक्त 6 पद भरे जाये

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आज जारी विज्ञाप्ति में आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सन् 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम पूरे देश में लागू कर शासन-प्रशासन में पारदार्शिता लाने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। इस कानून के पालन में राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जानी थी। यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सूचना का अधिकार कानून लागू होने के बाद से विगत 20 वर्षों में राज्य सरकार सूचना आयुक्तों के सभी 10 पद एक साथ नहीं भर सकी। अभी गत सप्ताह तक प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त सहित दस पद मार्च 2024 से रिक्त थे। रिक्त पदों के चलते आज प्रदेश में भ्रष्टाचार से जुड़ी 15 हजार से अधिक शिकायतें राज्य सूचना आयुक्त कार्यालय में लंबित है। शासन के जिम्मेदार अधिकारी जब शासकीय कामकाज से जुड़ी जानकारी आवेदक को नहीं देते है तो वह राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष अंतिम अपील करना चाहता है। जहां से मेरिट के आधार पर जानकारी देने के संबंध में आदेश पारित होते है

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बताया कि विगत दो दशकों से प्रदेश के भ्रष्टाचार के जितने भी मामले उजागर हुये है। उनकी जानकारी आर.टी.आई. के माध्यम से जनता तक पहुँची है। भ्रष्टाचार को उजागर करने का यह शाक्तिशाली माध्यम है, जिसकी धार राज्य सरकार कम करना चाहती है। सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि दो बार प्रकाशित विज्ञापन एवं उच्च न्यायालय के निर्देश के पालन में शासन को प्राप्त दो सौ से अधिक बार आवेदनों पर विचार कर सभी रिक्त पद समयसीमा तय करते हुए भरे जायें। शासन के पास पर्याप्त संस्था में सेवानिवृत्त न्यायधीश, भारतीय / राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सहित सामाजिक कार्यकर्ता पर पत्रकारों के आवेदन लंबित होकर अनिर्णित है

 

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