छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बैंच ने बिलासपुर के सिम्स हास्पिटल मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि खबरों के प्रकाशन में मीडिया प्रबंधन और पत्रकारों को गंभीरता लाने की जरूरत है। किसी भी खबर को प्रकाशित करने से पहले खबर की सच्चाई कीपुष्टि किया जाए। गलत खबर प्रकाशन से व्यक्ति और संस्था की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव प़़ड़ता है। कोर्ट ने दुहराया कि सिम्स पर प्रकाशित खबर की सुनवाई के दौरान मीडिया ने गंभीरता को नजरअंदाज किया है। अपुष्ट खबरों के प्रकाशन से सिम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों पर विश्वास कम होता है
शुक्रवार को हाईकोर्ट की डबल बैंच में पिछले दिनों हुए सिम्स में हाईअटैक और गैंगरीन से दो मौत पर सिम्स की लापरवाही को लेकर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मीडिया की गैर जिम्मेदारना रवैया पर नारजागी जाहिर किया। कोर्ट को शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि पिछले दिनों मीडिया ने दो अलग अलग खबरे प्रकाशित किया था। उस दोनों ही खबरों में बताया गया कि सिम्स की लापरवाही से दो मरीजों की मौत हो गयी है। जबकि इसमें किसी प्रकार की कोई सच्चाई नहीं है
प्रकाशित खबर में बताया गया कि सीने में दर्द से लाइन में खड़े एक मरीज की मौत हो गयी। इस दौरान सिम्स के डाक्टरों ने मरीज का इलाज नहीं किया। सरकारी वकील ने यह भी बताया कि 20 सितम्बर को मीडिया ने एक अन्य खबर में बताया कि सिम्स के डॉक्टरों की लापरवाही से गैंगरीन से पीड़ित बच्चे ने दम तोड़ दिया है। जबकि दोनो ही खबरों के लिए सिम्स जिम्मेदार नहीं है
सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सीने में दर्द के बाद दम तोड़ने वाले व्यक्ति को जांच के लिए सिम्स लाया गया था। इसी दौरान व्यक्ति को अचानक सीने में दर्द हुआ। खबर मिलते ही 10 मिनट में डॉक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया। लेकिन तब तक व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी थी। आरोप बेबुनियाद है कि डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया इसलिए व्यक्ति की मौत हो गयी
अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि सिम्स डाक्टरों की लापरवाही से मासूम बच्चे की मौत गैंगरीन से हुई है। वकीलो ने कहा कि जून 2023 में बच्चे का जन्म सिम्स में हुआ । ईलाज के बाद स्थिति में सुधार पर पांच जून को बच्चे को डिस्चार्ज किया गया। इस दौरान परिजन भी खुश थे। लेकिन 7 जून को नवजात को लेकर परिजन सिम्स पहुंचे। कुछ देर बाद परिजन अपने बच्चे को लेकर निजी अस्पताल में इलाज कराने चले गये
30 जून 2023 को नवजात के परिजन ने सिम्स के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। सिटी कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कराया। नाराज परिजनों ने फरवरी 2024 में कलेक्टर से मिलकर जांच की मांग समेत मुआवजा दिलाने की बात कही। कलेक्टर ने तत्काल जांच टीम का गठन कर रिपोर्ट पेश करने को कहा। दोनों ही मामलों में सिम्स को लेकर प्रकाशित खबर में दम नहीं है
दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मीडिया के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि बिना पुष्टि किए सच्चाई जाने बिना खबरों को प्रकाशित किया जाना पत्रकारिता के मापदंडों के अनुरूप नही है। हाईकोर्ट ने पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को नसीहत देते हुए कहा कि बिना पुष्टि खबर प्रकाशित नहीं किया जाए। इससे सिम्स जैसे संस्थानों पर जनता के बीच प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है संस्था से जनता का विश्वास खत्म होता है।