Rahul Gandhi से PM मोदी भी लेंगे सलाह, सैलरी भी कई गुना बढ़ी, जानें कितने ताकतवर हुए राहुल गांधी

इस लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के नतीजों ने संसद भवन में बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। एक तरफ, जहां पूरे दस साल बाद लोकसभा में विपक्ष को अपना सेनापति मिला है। वहीं 2014 में सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस (Congress) को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है। साथ ही 20 साल लंबे राजनीतिक करियर में राहुल गांधी को पहली बार संवैधानिक पद मिला है। विपक्ष का नेता बनने के साथ ही राहुल गांधी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है। इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा और वे विपक्षी गठबंधन के पीएम फेस के स्वाभाविक दावेदार भी हो सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद किस तरह की शक्तियां मिलने वाली हैं। वह किन फैसलों में अपनी भूमिका निभाने वाले हैं और उन्हें किस तरह की सुविधाएं दी जाएंगी

विपक्ष का नेता बनने के साथ ही पीएम मोदी और राहुल गांधी कुछ-कुछ मौके पर एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठते हुए दिखेंगे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के अलावा लोकपाल, सीबीआई प्रमुख, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले महत्वपूर्ण पैनल के सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री भी ऐसे सभी पैनलों के प्रमुख होते हैं।

राहुल गांधी के पास क्या शक्तियां होंगी?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनने पर बधाई मिल रही है, लेकिन विपक्ष के नेता ये भी कह रहे हैं कि पूरे गठबंधन के हितों का ध्यान रखा जाए। नेता प्रतिपक्ष न सिर्फ अपनी पार्टी को बल्कि पूरे विपक्ष का नेतृत्व करता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि राहुल को क्या शक्तियां मिलने वाली हैं

नेता प्रतिपक्ष कई जरूरी नियुक्तियों में पीएम के साथ बैठता है. मतलब ये कि अब पीएम मोदी और राहुल गांधी साथ मिलकर कई फैसले लेंगे. दोनों के राय से फैसले लिए जाएंगे.

चुनाव आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष इन सभी पदों का चयन एक पैनल के जरिए किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष शामिल रहते हैं. अब तक राहुल गांधी कभी भी मोदी के साथ किसी पैनल में शामिल नहीं हुए हैं.

राहुल गांधी भारत सरकार के खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष होंगे. राहुल सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करेंगे. वह ये जानने की कोशिश करेंगे कि सरकार कहां पर कितना पैसा खर्च कर रही है.

राहुल गांधी दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं. मतलब कि अगर वह किसी मुद्दे पर विदेशी मेहमानों से चर्चा करना चाहें तो वह ऐसा कर पाएंगे.

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों के चयन में भी अहम भूमिका निभाने वाले हैं. वह पिछले 10 साल से इन एजेंसियों पर काफी आरोप लगाते आए हैं.

राहुल गांधी को क्या सुविधाएं मिलेंगी

नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल को पद भी मिला है और उनका कद भी बढ़ गया है. नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी को कई अधिकार और सुविधाएं मिलेंगी। आइए जानते हैं कि उन्हें किस तरह की सुविधाएं मिलने वाली हैं

नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है.

राहुल गांधी को केंद्रीय मंत्री के समान वेतन, भत्ता और दूसरी सुविधाएं मिलेंगी.

राहुल को कैबिनेट मंत्री के आवास के स्तर का बंग्ला मिलेगा. उन्हें कार, ड्राइवर की सुविधा भी दी जाएगी. साथ ही 14 लोगों का स्टाफ मिलेगा.

बतौर सांसद राहुल गांधी को एक लाख रुपए और 45 हजार भत्ता मिलता है, लेकिन नेता विपक्ष बनने के बाद उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हजार रुपए मिलेंगे

पीएम के साथ बैठक में शामिल होंगे राहुल

इन सारी नियुक्तियों में राहुल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री और सदस्य बैठेंगे। इन नियुक्तियों से जुड़े फैसलों में प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी। उनकी राय और मशविरा मायने रखेगा। राहुल सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। वे ‘लोक लेखा’ कमेटी के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।

 

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हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

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