एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठेंगे पीएम मोदी और राहुल गांधी, दोनों मिलकर..

रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition in Lok Sabha) होंगे। कांग्रेस ने मंगलवार को राहुल गांधी को 18वीं लोकसभा में नेता विपक्ष बनाए जाने का ऐलान किया। देर रात इंडिया ब्लॉक की बैठक में राहुल को लेकर फैसला लिया गया। उसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखा और इस फैसले की जानकारी दी। विपक्ष का नेता बनने के साथ ही राहुल गांधी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है। इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा और वे विपक्षी गठबंधन के पीएम फेस के स्वाभाविक दावेदार भी हो सकते हैं। पांच बार के सांसद का यह पहला संवैधानिक पद है, जो राहुल गांधी ने अपने ढाई दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में संभाला है।

विपक्ष का नेता बनने के साथ ही पीएम मोदी और राहुल गांधी कुछ-कुछ मौके पर एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठते हुए दिखेंगे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के अलावा लोकपाल, सीबीआई प्रमुख, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले महत्वपूर्ण पैनल के सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री भी ऐसे सभी पैनलों के प्रमुख होते हैं।

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को वर्ष 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी। विपक्ष के नेता के पद का उल्लेख संविधान में नहीं, बल्कि संसदीय संविधि में है। राहुल गांधी की संवैधानिक पदों की नियुक्ति में भूमिका रहेगी। नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी लोकपाल, सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, केंद्रीय सूचना आयुक्त, एनएचआरसी प्रमुख के चयन से संबंधित कमेटियों के सदस्य होंगे और इनकी नियुक्ति में नेता विपक्ष का रोल रहेगा. वे इन पैनल के बतौर सदस्य शामिल होंगे। राहुल गांधी संसद की मुख्य कमेटियों में भी बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल हो सकेंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।

पीएम के साथ बैठक में शामिल होंगे राहुल

इन सारी नियुक्तियों में राहुल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री और सदस्य बैठेंगे। इन नियुक्तियों से जुड़े फैसलों में प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी। उनकी राय और मशविरा मायने रखेगा। राहुल सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। वे ‘लोक लेखा’ कमेटी के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।

राहुल गांधी को मिली ये शक्तियां और अधिकार

– कैबिनेट मंत्री के बराबर रैंक

– सरकारी सुसज्जित बंगला

– सचिवालय में दफ्तर

– उच्च स्तरीय सुरक्षा

– मुफ्त हवाई यात्रा

– मुफ्त रेल यात्रा

– सरकारी गाड़ी या वाहन भत्ता

– 3.30 लाख रुपए मासिक वेतन-भत्ते

– प्रति माह सत्कार भत्ता

– देश के भीतर प्रत्येक वर्ष के दौरान 48 से ज्यादा यात्रा का भत्ता

– टेलीफोन, सचिवीय सहायता और चिकित्सा सुविधाएं

नेता विपक्ष के क्या कार्य होते है 

लोकसभा में विपक्ष के नेता का कार्य सदन के नेता के विपरीत होता है, लेकिन फिर भी यह जिम्मेदारी सदन में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। विपक्ष लोकतांत्रिक सरकार का एक अनिवार्य हिस्सा है. विपक्ष से प्रभावी आलोचना की अपेक्षा की जाती है, इसलिए यह कहना गलत नहीं है कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा विपक्ष है। सत्ता पक्ष सरकार चलाता है और विपक्ष आलोचना करता है। इस प्रकार दोनों के कार्य और अधिकार हैं. सरकार और मंत्रियों पर हमले करना विपक्ष के कार्य हैं. एक काम यह भी है कि विपक्ष की तरफ से दोषपूर्ण प्रशासन पर सवाल किए जाएं और डटकर विरोध किया जाए। विपक्ष और सरकार समान रूप से सहमति से चलते हैं. यदि आपसी सहनशीलता का अभाव रहा तो संसदीय सरकार की प्रक्रिया टूट जाती है।

 

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हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

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