मध्यप्रदेश की बीजेपी और सरकार के बीच सबकुछ ठीक नही चल रहा है। दो कद्दावर गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को कार्यक्रमों में उपेक्षा किए जाने की खबरे खूब आ रही है। जानबूझकर उपेक्षा की जा रही है। बीजेपी के पुराने संघर्ष भरे दौर से राजनीतिक जीवन की शुरू करने वाले इन नेताओं का दर्द सोशल मीडिया पर दिख रहा है। रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव को लेकर दोनो दिगाजो ने अपनी पोस्ट लिखी और राजनेतिक सफर पर चर्चा की। ये पोस्ट राजनेतिक हलकों में जमकर चर्चा में है दोनो पूर्व मंत्रियों की पोस्ट में पुराने भाजपाइयों अपना सा दर्द महसूस कर रहे है
पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने यह लिखा
छात्र राजनीति से लेकर विधायक और सांसद तक का चुनाव जीतने वाले और क्षेत्र बदलकर पार्टी के निर्देशों का पालन करने वाले पूर्व मंत्री और खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह हाल ही में रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव की छपी खबरों से उनका मन की व्यथा सामने आई। इस पोस्ट से पुराने भाजपाइयों को अपना दर्द भी दिखा।
पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने लिखा कि
“आज एक समाचार पत्र में इस आशय की पंक्तियां पढ़ कर मन व्यथित हुआ जिसमें लिखा गया है कि सागर इन्वेस्टर्स कान्क्लेव के मंच पर अपनी कुर्सी लगवाने के लिए मैंने प्रयास किए या बैठक व्यवस्था से मुझे एतराज था।
कई दफा गए जेल, झेली यातनाएं
विधायक भूपेंद्र सिंह ने लिखा कि ” संघ और भाजपा मेरे खून में है और इनके अनुशासन का अनुसरण सदैव मैंने किया है। जिसके लिए विगत 45 वर्षों से मैं कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं। इन 45 वर्षों में से लगभग 25 वर्ष ऐसे संघर्षों से भरे थे जिनमें कांग्रेस की सरकार थी। उस समय जनसमस्याओं को लेकर आंदोलनों में पुलिस की लाठियां खाईं, अनेक बार जेलों की यातनाएं सहीं लेकिन संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ा और न ही विचारधारा से समझौता किया। कांग्रेस के सत्ता काल में अपनी पार्टी के लिए छात्र जीवन से ही दरी बिछाने, दीवाल लेखन करने, सड़कों पर जनसमस्याओं को लेकर आंदोलन करने पर बिना किसी अपराध के जेलें काटीं। तब अनेक दिन ऐसे थे जब जेलों में खाना नहीं मिला, कड़ाके की सर्दियों में दरी और कंबल भी नहीं मिले और जेल के ठंडे फर्श पर बैठे-बैठे ही रातें गुजारीं। तब युवावस्था थी जब कांग्रेस सरकार ने मुझे प्रताड़ित करने के लिए एक वर्ष तक लगातार जेल में रखा और इस दौरान 7 बार जेलें बदलीं पर मैं झुका नहीं। पुलिस ने पीटा, दर्जनों झूठे मुकदमे लगाए
कांग्रेस में शामिल होने डाला गया दवाब
उन्होंने लिखा कि “मुझे स्मरण आता है कि मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह जी के सागर आगमन पर छात्र आंदोलन हुआ तब उसमें सक्रिय हिस्सा लेने के प्रतिशोध में हमारे परिवार की बहुत सारी बेशकीमती जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। मेरे पूज्य पिता और मुझ पर दबाव डाला गया कि कांग्रेस पार्टी में आ जाएं तो कुर्सी मिलेगी और जमीन का अधिग्रहण भी नहीं होगा।… लेकिन हमने कीमती जमीनों का सरकारी दरों पर अधिग्रहण हो जाने दिया लेकिन विचारधारा त्याग कर कांग्रेस में जाने और कुर्सियां लेने के प्रस्ताव को ठोकर मार दी। हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की हमारी जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड की कालोनियां बना दी गईं। पर आज मैं गर्व और गौरव से कह सकता हूं कि 45 वर्षों से राजनीति में होने और विपरीत समय में प्रताड़ना सहने के बाद भी मेरे भरे पूरे परिवार के एक भी सदस्य ने कुर्सी के मोह में भाजपा के अलावा किसी और पार्टी या विचारधारा को अपने जीवन में स्थान नहीं दिया। किसी सदस्य ने कांग्रेस में जाने का कभी विचार भी मन में नहीं आने दिया। “
वैचारिक वैचारिक दृढ़ता और अनुशासन आज हमारी सर्वश्रेष्ठ पूंजी
भूपेंद्र सिंह के अनुसार संघ और भाजपा के प्रति यही वैचारिक दृढ़ता और अनुशासन आज हमारी सर्वश्रेष्ठ पूंजी है। कुर्सियों का मोह हमने तब नहीं किया तो अब कुर्सियों के लिए मोह और समझौते क्या करेंगे! कुर्सियों की चाह मन में होती तो सारे संघर्ष और जेलों की यातनाएं क्यों सही होतीं