हरियाणा में जितने कांग्रेस के बड़े नेता, उतना बड़ा उनका गुट कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस गुटबाजी को पार्टी की सफलता की राह का सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं। हरियाणा में विधानसभा चुनाव पर राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बारीक नजर रख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी पार्टी में गुटबाजी के खिलाफ हैं। बताते हैं इसे केन्द्र में रखकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा को साफ संदेश दे दिया गया है हुड्डा का पूरा आदर है, लेकिन उन्हें सभी को साथ लेकर चलने का सख्त संदेश दे दिया गया है। कांग्रेस हरियाणा में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का कसैला स्वाद नहीं दोहराना चाहती
कांग्रेस हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है इस चुनाव की तैयारी के लिए कांग्रेस के सबसे बड़े क्षेत्रीय कमांडर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा हैं। राज्य में कांग्रेस की बड़ी दलित नेता कुमारी सैलजा हैं। सैलजा का सिरसा, हिसार, अंबाला में अच्छा प्रभाव है। राज्य में अनुसूचित जाति के लिए कुल 17 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन इन सीटों पर अधिकांश उम्मीदवार हुड्डा की ही पसंद के हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने इस चुनाव में 90 में से 60-65 सीटें जीतने का पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भरोसा दिया है। उन्होंने इस लक्ष्य को पाने के लिए जो रोड मैप तैयार किया है, पार्टी के चुनावी रणनीतिकार काफी हद तक उससे सहमत हैं। उन्होंने ही हरियाणा में आम आदमी पार्टी समेत अन्य सहयोगियों से मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना को खारिज भी किया था। इसलिए उनकी टिकट निर्धारण में चली भी है
राज्य में सैलजा और रणदीप सुरजेवाला समेत अन्य भी हैं
किरण चौधरी के भाजपा में जाने और अशोक तंवर के भी पहले ही पार्टी छोड़ देने के कारण हरियाणा कांग्रेस और राज्य में भूपेन्द्र हुड्डा की पकड़ काफी मजबूत हो गई है। चौधरी वीरेन्द्र सिंह और राव इंद्रजीत सिंह ने भी भाजपा की राह पकड़ ली थी इसने हुड्डा समीकरण को काफी मजबूत कर दिया। लेकिन हिसार अंबाला सिरसा में सैलजा थोड़ा दम खम रखती हैं। रणदीप सुरजेवाला भी हुड्डा विरोधी गुट के माने जाते हैं। दोनों लगातार विधानसभा चुनाव प्रचार में कम रुचि ले रहे थे। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में थे। दोनों की इच्छा अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की भी थी। लिहाजा सैलजा ने अपने को घर और सीमित दायरे तक समेट लिया था। रणदीप सुरजेवाला भी इसी तरह का संकेत दे रहे थे। बताते हैं शनिवार को इस संदर्भ में चर्चा हुई अब रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा समेत अन्य नेता पार्टी को मजबूत बनाने के लिए राजी हो गए हैं
मध्य प्रदेश को दोहराना पार्टी के हित में नहीं
5 अक्तूबर को हरियाणा में 90 विधानसभा सीट के लिए वोट पड़ेंगे। 8 अक्तूबर को नतीजे आएंगे। इसलिए कांग्रेस का ध्यान अगले 10-12 दिन के लिए सभी आपसी मतभेद भुला देने पर केन्द्रित है। पार्टी नहीं चाहती कि हरियाणा में मध्य प्रदेश की स्थिति दोहराई जाए। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले तक के हर सर्वे में कांग्रेस को सरकार बनाने का अनुमान जताया जा रहा था। प्रियंका गांधी का सचिवालय कहता है कि इस भरोसे को आपसी गुटबाजी ने सेंध लगा दिया। नतीजा सामने हैं कर्नाटक के एक बड़े कांग्रेस के नेता ने कहा कि हम सरकार इसलिए बना पाए क्योंकि एकजुटता से लड़े मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, राजस्थान में भी यही एकजुटता रही होती तो विधानसभा चुनावों का परिणाम कुछ और होता। तृणमूल कांग्रेस की एक नेता कहती हैं कि कांग्रेस में काफी नकेल कसे जाने के बाद भी गुटबाजी अभी बड़ी समस्या बनी हुई है