तरक्की हेतु संकीर्ण मानसिकता रखते हैं। दुनिया के प्रायः सभी देशों में हर कौम और धर्म के मानने वाले लोग हैं तब इस तरह की सोच अन्याय की परिधि भी आएगी
उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात कही जो उनके एक जिम्मेदार राजनैतिक नायक बनने की पुष्टि करते हैं। उनका ख़्याल है कि एक राजनैतिक, देशप्रेमी और जनप्रिय व्यक्ति का अपने निज का आइडिया ख़त्म कर लोगों के बारे में सोचना ही देवता होना होता है। भगवान राम, बुद्ध और महात्मा ऐसे ही लीडर्स थे यही हिंदुस्तान के नेता और अमेरिका के नेताओं में फ़र्क है
उनके तमाम विचार इस बार एक उन्हें जगनायकत्व के करीब पहुंचाते नज़र आते हैं। उनकी ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा से जो गरल निकला उसका आचमन करते हुए वे जन जन के बहुत करीब पहुंचे हैं इसलिए उनके लिए वे सदैव प्रतिबद्ध नज़र आते हैं।यही वजह है कि सदन में जब से वे प्रतिपक्ष नेता बने हैं उन्होंने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को वापिस लेने मज़बूर किया है। ख़ौफ़ का जो आलम था वह लगभग ख़त्म हुआ है। डरो मत कारगर हुआ। अब स्थितियां उलट गई है पीएम जब राहुल बोलने वाले होते हैं या तो उठकर भाग जाते हैं या आते ही नहीं है
यह सब करिश्मा राहुल गांधी के सुदृढ़ व्यक्तित्व से संभव हु है उन्हें विरासत में जो देश मिला उसको चलाने वाले फासिस्टवादी थे जिन्होंने एक विकसित होते भारत को धर्मांधता और हिंदुत्व के रथ पर आरुढ़ किया और दिल से लूटा देश के महत्वपूर्ण संस्थानों को कारपोरेट को बेचा। शिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा व्यवस्था को पंगु बनाया। करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन, किसानों और बहनों को अल्प राशि देकर फुसलाया तथा हर मोड़ पर देशवासियों को लूटा देश का अपार धन पूंजीपतियों के हवाले कर दिया। जो काम हुए उनकी पोल बरसात ने खोल दी नौकरियों और परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा से बेरोजगारी चरम पर पहुंची कारपोरेट के हाथ में बाजार जाने से मंहगाई बढ़ी
ऐसी स्थितियों में राहुल गांधी की सजगता और सादगी ने तथा सबसे बड़ी निर्भीकता के जज़्बे ने उन्हें अपार लोकप्रियता से नवाजा। यह सच है कि यदि चुनाव आयोग ने निष्पक्षता से काम किया होता तो मोदीजी का मैदान साफ़ हो गया होता। लेकिन जनमत ने जितना भी मत इंडिया गठबंधन को दिया उसकी बदौलत ही जन जन की आवाज़ संसद के गलियारों में गूंजने लगी है यह विजय कम नहीं
इन तमाम घटनाओं से बार बार महात्मा गांधी याद आते हैं राहुल ने गांधी के संघर्ष का पथ चुना है वे पिछले कांग्रेसियों से बिल्कुल अलहदा हैं और सिर्फ जनहित के लिए ही काम करते हैं जो लोग पिछली कांग्रेस की नज़र से उन्हें देखते हैं वह भी बदल रही है संघ और स्मृति ईरानी ने उन्हें बखूबी पहचान लिया है इसलिए भाजपा से दूरी बढ़ रही है। उनके अमरीका प्रवास के दौरान दिए वक्तव्यों और मिले भरपूर सम्मान से यह जाहिर होता है कि उनकी सोच व्यापक है और वे दुनिया के ख़तरों के प्रति सतर्क है और उनके मामले में प्रतिपक्ष नेता यानि शेडो प्रधानमंत्री की तरह ही देश दुनिया की ख़बर रखते हैं। यकीनन उनकी ये विशेषताएं उन्हें एक दिन देश का उत्तरदायित्व सौंपने की काबिलियत की ओर इशारा करती है देश दुनिया की चिंता और उनकी पहल उन्हें जगनायक बना दे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए