प्रतीक चौहान मा सगीता ने बेटे के जन्म के बाद उसका नाम शकर रखा लेकिन उन्हें क्या पता था कि बेटा जवानी में खूब ताडव मचाएग बेटे की बुरी सगत और नशे की लत ने उसे अपने दोस्त की हत्या के लिए विवश किया जिसके बाद उसे 16 साल की जेल हुई. जेल में भी बेटे ने कम आतक नही मचाया अपने दोस्तो के साथ शकर ने यहा भी ऐसा उत्पात मचाया कि अन्य कैदियो के साथ मिलकर 5 दिनो तक उन्होने जेल मे अधिकारियो को चाय-नाश्ता भी नही दिया और अपनी ही मर्जी चलाई चूकि हत्या के आरोप में शकर जेल गए थे तो उन्हे रायपुर सेट्रल जेल के बैरक नंबर 8 के पीछे बडी गोल में रखा गया था जहा खूखार कैदियों को रखा जाता है लेकिन अब शकर बदल गए है उन्होने जेल से रिहा होने के बाद आध्यात्म का रूख कर लिया है और उन्होने अपनी साइकिल से 8 महीने 5 दिन मे 12 ज्योतिर्लिग के दर्शन कर 4 अगस्त रविवार को रायपुर पहुचे
शकर राजधानी रायपुर के लक्ष्मण नगर स्थित दुर्गा मदिर के पास रहते है जहा उनकी इस साइकिल यात्रा से लौटने के बाद जश्न का माहौल है और अब सब उसे मिलने औप श्रीफल से उनका स्वागत करने पहुच रहे है
पूरी साइकिल यात्रा में भोलेनाथ मेरे साथ थे शकर
शकर कहते है कि उनकी 12 ज्योतिर्लिग की इस पूरी साइकिल यात्रा मे भोलेनाथ मेरे शकर कहते है कि उनकी 12 ज्योतिर्लिंग की इस यात्रा में भगवान भोलेनाथ उनके साथ थे ऐसा इसलिए क्योंकि जब वे जगलो से गुजरते और उन्हे ये आभास होता कि उन्हे वहा नहीं रूकना चाहिए उनकी साइकिल मे लगा भगवा ध्वज उन्हे संकेत देता था उनका कहना है कि 8 महीने की यात्रा में वे कई घने जंगलों से गुजरे और उन्हें कभी कोई परेशानी नही हुई इसका जीता-जागता उधारण है कि भगवान भोलेनाथ उनकी इस यात्रा में उनके साथ थे और पूरी यात्रा में उनकी रक्षा की मे भगवान भोलेनाथ उनके साथ थे ऐसा इसलिए क्योंकि जब वे जगलो से गुजरते और उन्हे ये आभास होता कि उन्हें वहां नहीं रूकना चाहिए उनकी साइकिल में लगा भगवा ध्वज उन्हें संकेत देता था उनका कहना है कि 8 महीने की यात्रा में वे कई घने जगलो से गुजरे और उन्हें कभी कोई परेशानी नहीं हुई इसका जीता-जागता उधारण है कि भगवान भोलेनाथ उनकी इस यात्रा में उनके साथ थे और पूरी यात्रा में उनकी रक्षा की