गर्भ से ही शिशुओं को मिल सकें संस्कार, हॉस्पिटल में गर्भ संस्कार शिविर, पढ़ाया गीता-रामायण पाठ

स्त्री रोग विशेषज्ञों, चिकित्सकों और फिजियोथैरेपी प्रशिक्षकों के साथ मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया गया। गर्भ में शिशुओं को सांस्कृतिक मूल्य प्रदान करने के लिए गर्भावस्था के दौरान गीता एवं रामायण का पाठ और योगाभ्यास किया।

इंदौर में एक अच्छी पहल की जा रही है। हॉस्पिटल में ही गर्भ संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि गर्भ में पल रहे शिशुओं को गर्भ में ही संस्कार मिल सकें

इंदौर में शिशुओं को गर्भ में ही संस्कार एवं मूल्य सिखाने के उद्देश्य से गर्भवती महिलाओं के लिए ‘गर्भ संस्कार’ शिविर का आयोजन मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया। स्त्री रोग विशेषज्ञों, चिकित्सकों और फिजियोथैरेपी प्रशिक्षकों के साथ मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया गया। गर्भ में शिशुओं को सांस्कृतिक मूल्य प्रदान करने के लिए गर्भावस्था के दौरान गीता एवं रामायण का पाठ और योगाभ्यास किया। शिशु रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. स्वाति प्रशांत ने कहा कि इंडेक्स हॉस्पिटल में गर्भ संस्कार शिविर गर्भवती महिलाओं के लिए आयोजित किया गया। इसका मूल उद्देश्य गर्भ में ही बच्चों को संस्कृति और मूल्यों की शिक्षा दी जा सके। शिशु के गर्भावस्था काल में यदि माता-पिता डिप्रेशन में हैं तो इसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है। गर्भ संस्कार शिविर आपके स्वास्थ्य के साथ आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर माध्यम बनता है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ विभागाध्यक्ष ओबीएस एंड गायनिक डॉ. पूजा देवधर ने कहा कि आज के समय में अव्यवस्थित खान-पान की वजह से नवजात शिशु की इम्युनिटी पर भी असर पड़ रहा है। इसलिए इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। गर्भ में पल रहे बच्चे को बेहतर वातावरण मिलना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा असर उस पर भी पड़ता है। फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. रेशमा खुराना ने कहा कि आहार खानपान के साथ व्यायाम का असर भी शिशु पर पड़ता है। इसलिए इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। इसमें खासतौर पर कई ऐसी फिजियोथैरेपी हैं जिसकी मदद से आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। इस अवसर पर डॉ.प्रियंका राठौर ने भी गर्भ संस्कार शिविर के बारे में जानकारी दी।

 

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