अयोध्या में अखिलेश की बिछाई बिसात में ऐसे फंस गई बीजेपी, समझिए लल्लू सिंह के पिछड़ने के समीकरण

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लल्लू सिंह सपा के अवधेश प्रसाद से काफी पिछड़ गए हैं. इस सीट पर अखिलेश यादव ने ऐसी बिसात बिछाई, जिसकी काट बीजेपी नहीं निकाल सकी.

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है, वो कई प्रमुख सीटों पर चुनाव हार रही है. उनमें फैजाबाद सीट भी शामिल है. बता दें कि फैजाबा सीट में ही अयोध्या नगरी आती है, जहां भगवान राम का भव्य राम मंदिर बनने के बाद माना जा रहा था कि ये सीट भाजपा के लिए बहुत आसान है, लेकिन आज आए परिणामों में ये सीट सबसे चौंकाने वाली रही. सपा के अवधेश प्रसाद 50 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं. उन्होंने कई राउंड में भाजपा के प्रत्याशी  लल्लू सिंह को पछाड़ दिया.

आइए समझते हैं कि समाजवादी पार्टी ने भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली फैजाबाद सीट पर कैसे मात दी.

1- अयोध्या सीट पर इस बार अखिलेश यादव ने नया प्रयोग किया और सामान्य सीट होने के बावजूद अखिलेश यादव ने अयोध्या की सबसे बड़ी दलित आबादी वाली पासी बिरादरी से अपने सबसे मजबूत पासी चेहरे को उम्मीदवार बना दिया. अवधेश पासी छह बार के विधायक मंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं. संख्या के लिहाज से अयोध्या की सबसे बड़ी जाति पासी बिरादरी मानी जाती है.

2- बीजेपी ने यहां लल्लू सिंह को तीसरी बार मौका दिया, वो दो बार से लगातार यहां के सांसद हैं. ये वही लल्लू सिंह है जिन्होंने पूरे विपक्ष को संविधान बदलन का मुद्दा थमा दिया था. लल्लू सिंह ने ही कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है.

3- फैजाबाद में सपा के दलित चेहरा उतारने से एक नारा चल पड़ा, ‘अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ अवधेश पासी.’ माना जा रहा है कि दलित उम्मीदवार  के पीछे न सिर्फ दलित जातियां बल्कि कुर्मी जैसी ओबीसी जातियां भी गोलबंद हो गईं. राम मंदिर निर्माण के बावजूद अखिलेश ने फैजाबाद में ऐसी बिसात बिछाई, जिसने यहां बीजेपी को पीछे छोड़ दिया.

फैजाबाद से जीत चुकीं तीनों पार्टियां 

बता दें कि हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र होने के बावजूद, यह शहर भाजपा का गढ़ नहीं रहा है, यहां से विभिन्न दलों के नेता चुनाव जीत चुके हैं. 1991 से यहा विधानसभा चुनाव नतीजों में बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन फैजाबाद लोकसभा सीट पर उत्तर प्रदेश की तीनों बड़ी पार्टियां बीजेपी, एसपी और कांग्रेस अलग-अलग चुनावों में अपनी जीत दर्ज कर चुकी हैं.
 

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हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

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