लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण की सीटों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 3 मई है और तीन सीटें ऐसी हैं, जहां से बीजेपी, कांग्रेस, सपा ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से कांग्रेस के टिकट को लेकर सस्पेंस है तो रायबरेली में कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही दल उम्मीदवार तय नहीं कर पाए हैं.
लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में 20 मई को मतदान होना है. इस चरण की सीटों के लिए नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 3 मई है और यूपी की तीन सीटें ऐसी हैं जहां या तो सत्ताधारी पार्टी या विपक्षी गठबंधन या फिर दोनों ने ही अब तक अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. ये तीनों ही सीटें हाईप्रोफाइल हैं और ऐसी हैं जहां इस चुनाव के पहले तक शायद ही कोई मौका आया हो जब उम्मीदवार लेकर इतनी असमंजस की स्थिति देखी गई हो. यह सीटें हैं- रायबरेली, अमेठी और कैसरगंज.
अमेठी में कांग्रेस उम्मीदवार पर सस्पेंस
अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. नेहरू गांधी परिवार के सदस्यों की सियासत में एंट्री के लिए ‘लॉन्चिंग पैड’ की पहचान रखने वाले अमेठी से राहुल गांधी लगातार तीन बार सांसद चुने गए. 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हरा दिया था. बीजेपी ने इस बार भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया है. स्मृति ईरानी ने 29 अप्रैल को नामांकन भी दाखिल कर दिया है लेकिन कांग्रेस अब तक उम्मीदवार तय नहीं कर सकी है. अमेठी सीट से चर्चा में राहुल गांधी का नाम है तो साथ ही बात इसे लेकर भी हो रही है कि पार्टी यहां से किसी लोकल चेहरे को उतार सकती है
अमेठी से उम्मीदवार पर सस्पेंस के बीच टिकट पर फैसले के लिए सीईसी ने कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत कर दिया है. सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि रहे केएल शर्मा भी नामांकन की तैयारियों के लिए अमेठी पहुंच चुके हैं. कांग्रेस उम्मीदवार के नाम पर सबकी नजरें टिकी हैं. कांग्रेस स्मृति के सामने राहुल गांधी को ही उतारती है या किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगी, ये देखना होगा.
रायबरेली में कांग्रेस-बीजेपी, दोनों ने नहीं खोले पत्ते
नॉमिनेशन की अंतिम तारीख करीब आ चुकी है लेकिन गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली से कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही पार्टियों ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. 2019 के चुनाव में कांग्रेस यूपी की जो एक सीट जीत सकी थी, वह रायबरेली सीट ही थी. इस सीट से सोनिया गांधी संसद पहुंची थीं. सोनिया गांधी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं. वह राजस्थान से राज्यसभा पहुंच चुकी हैं. ऐसे में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर किसी नए चेहरे का चुनाव मैदान में उतरना तय है. कांग्रेस के टिकट पर सस्पेंस के बीच बीजेपी भी वेट एंड वॉच के मोड में नजर आ रही है.
कैसरगंज में बीजेपी-सपा को एक-दूसरे के उम्मीदवार का इंतजार
बीजेपी यूपी की 80 में से 75 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और इनमें से 73 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान भी कर चुकी है. पार्टी ने सूबे दो सीटों पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं और इन दो सीटों में रायबरेली के साथ दूसरा नाम है कैसरगंज का. कैसरगंज लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक बृजभूषण शरण सिंह संसद पहुंचते रहे हैं. 2009 का चुनाव सपा के टिकटवाले बृजभूषण 2014 और 2019 में बीजेपी से जीते थे. चर्चा है कि पार्टी इस बार बृजभूषण का टिकट काट उनके परिवार के ही किसी सदस्य पर दांव लगा सकती है. पर जीतने वाले बृजभूषण 2014 और 2019 में बीजेपी से जीते थे. चर्चा है कि पार्टी इस बार बृजभूषण का टिकट काट उनके परिवार के ही किसी सदस्य पर दांव लगा सकती है
दूसरी तरफ, इंडिया ब्लॉक की ओर से इस सीट पर सपा को उम्मीदवार उतारना है. विपक्षी सपा भी टिकट का ऐलान करने से पहले बीजेपी उम्मीदवार के नाम का इंतजार कर रही है. सपा नेताओं का कहना है कि बीजेपी अगर किसी ब्राह्मण चेहरे को टिकट देती है तो हम राजपूत उम्मीदवार उतारेंगे. बीजेपी से राजपूत उम्मीदवार के उतरने की स्थिति में सपा ब्राह्मण या ओबीसी चेहरे पर दांव लगा सकती है. फिलहाल, देवीपाटन मंडल की कैसरगंज सीट से एनडीए और इंडिया ब्लॉक, दोनों ही गठबंधनों ने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.