पहाड़ियों के बीच छुपे थे नक्सली, नदी पार कर पहुंचे थे 200 BSF-DRG जवान… ऑपरेशन बस्तर की Inside Details

दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के कांकेर में हुई मुठभेड़ के निशान अभी भी जंगलों में देखे जा सकते हैं. मुठभेड़ के दौरान घटनास्थल के आसपास रहने वाले आदिवासियों ने जो कुछ भी देखा या सुना, वे उसके बारे में बात करने से हिचक रहे थे. अकामेटा गांव निवासी लिंगाराम ने दावा किया कि उसका चचेरा भाई सक्रिय नक्सली सुक्कू मुठभेड़ में मारा गया

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के हिदुर और कल्पर गांवों से लगी पहाड़ियों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां पर ही हाल ही में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 29 नक्सलियों को मार गिराया था. इस मुठभेड़ को खत्म हुए दो दिन बीत गए हैं, लेकिन अब भी इलाके में इसके निशान मौजूद हैं. घटनास्थल पर पेड़ों में गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं.

एजेंसी के मुताबिक मुठभेड़ के दौरान घटनास्थल के आसपास रहने वाले आदिवासियों ने जो कुछ भी देखा या सुना, वे उसके बारे में बात करने से हिचक रहे थे. अकामेटा गांव निवासी लिंगाराम ने दावा किया कि उसका चचेरा भाई सक्रिय नक्सली सुक्कू मुठभेड़ में मारा गया.

लोकसभा चुनाव में वोट ना करने की अपील

लिंगाराम ने कहा सुक्कू बचपन में ही प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) में शामिल हो गया था. परिवार के सदस्यों ने उसे काफी मनाया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वह माओवादी आंदोलन में शामिल रहा. सुक्कू के शव पर दावा करने के लिए परिवार ने अभी तक पुलिस से संपर्क नहीं किया है. मुठभेड़ स्थल तक जाने वाले रास्ते, ज्यादातर कच्ची सड़कें या जंगल के रास्ते को कई स्थानों पर खोदा गया था. इस मुठभेड़ के  बाद आसपास लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की अपील करने वाले नक्सली पोस्टर और मारे गए माओवादियों के कच्चे स्मारक भी नजर आ रहे हैं.

ग्रामीण कर रहे पुल बनाने का विरोध

नक्सलियों की उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके तक पहुंचने के लिए कोटरी नदी को पार करना पड़ता है, जो गर्मियों में सूख जाती है. एक अधिकारी ने दावा किया कि स्थानीय प्रशासन लंबे समय से नदी पर पुल बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन काम में कोई प्रगति नहीं हुई क्योंकि ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. मुठभेड़ स्थल छत्तीसगढ़ के कांकेर और नारायणपुर जिलों और महाराष्ट्र के  गढ़चिरौली के त्रि-जंक्शन पर बेचाघाट से 15 किलोमीटर दूर स्थित है. एक ग्रामीण आयतु ने कहा कि उसने 16 अप्रैल की दोपहर को कल्पर गांव  से सटी एक पहाड़ी से गोलियों की आवाज सुनी. हालांकि, वह उसने इसके आगे बताने से इनकार कर दिया.

दोपहर 12.30 बजे शुरू हुई मुठभेड़

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के करीब 200 कर्मियों ने 15 अप्रैल की देर शाम कई स्थानों से आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया था और मेहरा गांव में एकत्र हुए थे. उन्होंने खैरीपदर में कोटरी नदी पार की और फिर कुछ अन्य गांवों से होकर गुजरे और पहाड़ी को घेर लिया, जहां कुछ वरिष्ठ माओवादियों के मौजूद होने का संदेह था. पुलिस ने बताया कि  मुठभेड़ मंगलवार दोपहर करीब 12.30 बजे शुरू हुई और करीब चार घंटे तक चली. बाद में 15 महिलाओं समेत 29 नक्सलियों के शव बरामद  किये गये. भीषण गोलीबारी में 3 सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए.

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