10 किलो मटन के लिए 2 दिन पड़ी रही महिला की लाश ,सामूहिक भोज की शर्त मानने पर हुआ अंतिम संस्कार

ओडिशा में एक शर्मनाक मामला सामने आया है. एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद 10 किलो मटन के लिए दो दिनों तक उसकी लाश पड़ी रही. मृतक महिला के बेटे के सामूहिक भोज की शर्त पर तैयार होने के बाद ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. पीड़ित ने आर्थिक अभाव के कारण पहले 10 किलो मांस देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं थे.

ओडिशा के मयूरभंज इलाके से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. 10 किलो मटन का भोज नहीं देने पर एक बुजुर्ग महिला की लाश दो दिनों तक पड़ी रही और उसका अंतिम संस्कार नहीं हुआ. आखिरकार जब मृतक बुजुर्ग महिला का बेटा भोज के आयोजन के लिए तैयार हुआ तब ग्रामीण अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए राजी हुए.

दरअसल मयूरभंज के तेलाबिला गांव में सत्तर साल की सोमबारी सिंह का शनिवार को निधन हो गया. स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार, किसी  परिवार में शादी या मृत्यु की स्थिति में, ग्रामीणों के लिए सामुदायिक भोज आयोजित करने की प्रथा है. इसी के तहत ग्रामीणों ने मृतक महिला के  बेटे से मटन के भोज की मांग की लेकिन पैसों की कमी की वजह से उसने इसमें असमर्थता जताई.

जानकारी के मुताबिक सोमाबारी के परिवार में दो विवाह समारोह आयोजित होने के बावजूद, ऐसे किसी सामुदायिक भोज का आयोजन नहीं किया गया था, जिससे ग्राम प्रधान और अन्य लोग असंतुष्ट थे. जब शनिवार को सोमबारी की मृत्यु हुई, तो ग्रामीणों ने अपनी शिकायतें व्यक्त कीं और अंतिम संस्कार के लिए मृतक के परिवार द्वारा दस किलो मांस उपलब्ध कराने की मांग की.

मृतक सोमबारी सिंह के बेटे द्वारा इस मांग को स्वीकार नहीं करने पर ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया जिसके बाद मृतक महिला का शव दो दिनों तक लावारिस पड़ा रहा. कोई और समाधान नजर नहीं आने पर, मृतक महिला के बेटे ने अंतिम में ग्रामीणों की मांग मान ली और सामूहिक भोज के लिए मटन (मांस) उपलब्ध कराने को तैयार हो गया. इसके बाद ग्रामीण माने और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई.

वहीं इस घटना को लेकर मृतक महिला के बड़े बेटे ने कहा,  ‘ग्रामीणों ने दावत के लिए बकरी या भेड़ के मांस की मांग की और आखिरकार मैंने उनकी इस मांग को स्वीकार कर लिया क्योंकि हम अपनी मां के शव के अंतिम संस्कार के लिए पिछले दो दिनों से इंतजार कर रहे थे.’

 

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