पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट नोटिस:विज्ञापन में डायबिटीज और अस्थमा ठीक करने का दावा किया; सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक लगा चुका था

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद और उसके MD आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है। पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA ने 2022 में मामला दाखिल किया था। IMA ने याचिका में कहा था कि बाबा रामदेव सोशल मीडिया पर एलोपैथी के खिलाफ गलत जानकारी फैला रहे हैं।

केस की सुनवाई जस्टिस अमानउल्ला की बेंच में चल रही है। पिछली सुनवाई 21 नवंबर 2023 को हुई थी। तब कोर्ट ने कहा था कि पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।

IMA के वकील ने कहा- पतंजलि ने डायबिटीज-अस्थमा ठीक करने का दावा किया
IMA की ओर से कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट पीएस पटवालिया ने कहा कि पतंजलि ने योग से डायबिटीज और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था। इस पर कोर्ट ने कहा- आप में (पतंजलि) कोर्ट के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन लाने का साहस रहा।

कोर्ट ने कहा- अब हम सख्त आदेश पारित करने जा रहे हैं। हमें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि आप कोर्ट को उकसा रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ भी सख्त टिप्पणी की। जस्टिस अमानउल्ला ने कहा- पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है और सरकार आंख मूंद कर बैठी है।

कोर्ट ने कहा था- एलोपैथी के खिलाफ विज्ञापन न दे पतंजलि
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।

इससे पहले हुई सुनवाई में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था, ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए

Leave a Comment

और पढ़ें

हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

error: Content is protected !!