पश्चिमी यूपी में राजपूतों की नाराजगी का फायदा उठाने में अब विपक्ष भी लग गया है. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी लगातार ऐसी कोशिशें कर रही हैं कि बीजेपी से छिटका ये वोट उनके हिस्से आ सके. देखना यह है अब बीजेपी क्या कर रही है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही है. पहले चरण की आठ सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुका है. समझा जाता है कि इन आठ सीटों में से कुछ खास सीटों पर राजपूत संगठनों के बीजेपी को हराने के ऐलान का असर हुआ है. पर कितना हुआ है यह नतीजों के आने पर ही स्पष्ट हो सकेगा. इस बीच जिस तरह विपक्ष इस नाराजगी को भुनाने में लग गया है उससे यही उम्मीद की जानी चाहिए कि दूसरे चरण की वोटिंग में बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी अब इस मुद्दे पर मुखर हो गए हैं. पिछले बहुजन समाज पार्टी की ओर से राजूपत वोटों के लिए अपने प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं.
दूसरे चरण की वोटिंग में क्या है उम्मीद
पिछले शुक्रवार को पश्चिमी यूपी की आठ सीटों पर मतदान के दौरान कई जगहों पर ठाकुर नेताओं के बीजेपी को हराने की कसम दिलाने का असर देखा गया.हालांकि यह बहुत बड़ा नहीं था पर अगर 10 परसेंट वोट भी इधर-उधर हुए हों तो बीजेपी के लिए काफी मुश्किल होने वाला है. पहले चरण में यूपी की जिन सीटों पर मतदान हुआ उनमें बीजेपी ने सिर्फ एक ठाकुर उम्मीदवार को ही टिकट दिया था. दुर्भाग्य से प्रत्याशी कुँवर सर्वेश सिंह जो मुरादाबाद से चुनाव लड़ रहे थे, वोटिंग के दूसरे ही दिन उनका निधन हो गया. पश्चिमी यूपी की आठ अन्य सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है. यह संयोग ही है कि इन आठों सीटों पर बीजेपी का कोई भी राजपूत प्रत्याशी नहीं है. इन उम्मीदवारों में दो ब्राह्मण, दो वैश्य, एक गुर्जर और एक जाट हैं. बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने बागपत में जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. 26 अप्रैल को ही गाजियाबाद में भी वोटिंग है जहां से पिछली बार राजपूत नेता जनरल वीके सिंह चुने गए थे पर इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इस बार जिन सीटों पर वोटिंग हो रही है उनमें अधिकतर राजपूत बाहुल्य वाली सीटें हैं. मायावती ने गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में राजपूत आबादी को देखते हुए यहां से ठाकुर प्रत्याशी ही खड़ा किया है. जो निश्चित तौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में राजपूत आबादी को देखते हुए यहां से ठाकुर प्रत्याशी ही खड़ा किया है. जो निश्चित तौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के
मायावती के तीर निशाने पर
बसपा अध्यक्ष मायावती ने आनन फानन में गाजियाबाद से राजपूत प्रत्याशी देकर ठाकुरों की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश की है. रविवार को गाजियाबाद में एक चुनावी रैली में उन्होंने इस मुद्दे को उठाया और भाजपा पर ठाकुर समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने टिकट वितरण में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है. बसपा ने गाजियाबाद से नंद किशोर पुंडीर को उम्मीदवार बनाया है. पुंडीर ठाकुर समुदाय से आते हैं. मायावती कहती हैं कि, यूपी में ऊंची जातियों में क्षत्रिय समुदाय की संख्या बहुत अधिक है.
यह देखना निराशाजनक है कि बीजेपी और अन्य पार्टियां, जो क्षत्रियों के समर्थक होने का दावा करती हैं, ने उन्हें किस तरह नजरअंदाज किया है. खासकर पश्चिम यूपी में. बसपा ने इस क्षेत्र में क्षत्रियों को उचित प्रतिनिधित्व दिया है. गाजियाबाद में हमने क्षत्रिय उम्मीदवार उतारा है. पहले हमने एक पंजाबी उम्मीदवार को टिकट दिया था लेकिन बाद में हमें एहसास हुआ कि उनकी आबादी लखीमपुर खीरी में ज्यादा है. इसलिए, हमने वहां एक पंजाबी सिख उम्मीदवार को टिकट दिया है. मायावती जानती हैं कि नोएडा और गाजियाबाद में राजपूत की बड़ी आबादी रहती है. साथ ही यहां के राजपूत बीजेपी के हार्ड कोर वोटर रहे हैं. पर इन दोनों जगहों से भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्टी किसी के प्रत्याशी राजपूत नहीं हैं. अगर घोसी उपचुनाव की तरह राजपूत वोटर्स अपनी जाति के कैडिडेट को वोट देते हैं तो बीएसपी की रणनीति कामयाब मानी जाएगी.
अखिलेश भी लगे हैं राजपूतों को पटाने में
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नोएडा में अपनी रैली में मौजूद क्षत्रियों को देखकर कहा कि ‘मैं सिर पर सम्मान और पगड़ी (पगड़ी) देख रहा हूं. जो लोग परंपरागत रूप से किसी अन्य पार्टी को वोट देते रहे हैं, मैं इस बार उनकी राजनीतिक जागरूकता के लिए आभारी हूं कि वे सम्मान और पगड़ी के साथ साइकिल’ का समर्थन करने जा रहे हैं’
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार सपा के गौतमबुद्धनगर नगर जिला सचिव हेमंत राघव ने कहा, ‘दर्शकों में पगड़ी वाले लोग क्षत्रिय थे और अखिलेश यादव जी ने उनकी उपस्थिति को पहचाना. राजपूत इस बार सपा का समर्थन करने जा रहे हैं क्योंकि वे भाजपा से परेशान हैं जिसने इस चुनाव में अपमान और उपेक्षा की है ‘ उन्होंने कहा कि पार्टी ने ठाकुरों के बीच ‘भाजपा विरोधी भावना’ को महसूस किया है. समाजवादी पार्टी ने इसी कारण गौतमबुद्धनगर में दो ‘क्षत्रिय सम्मेलन’ और ठाकुरों की एक पंचायत आयोजित की थी
हालांकि समाजवादी पार्टी ने गौतमबुद्ध नगर से गुर्जर उम्मीदवार डॉ. महेंद्र सिंह नागर को मैदान में उतारा है. जब बहुजन समाज पार्टी ने एक राजपूत उम्मीदवार देकर सबकी गणित पर पानी फेर दिया है. गौतमबुद्धनगर से बसपा उम्मीदवार राजेंद्र सिंह सोलंकी हैं जो क्षत्रिय समुदाय से हैं. भाजपा उम्मीदवार मौजूदा सांसद और पूर्व मंत्री महेश शर्मा हैं जो ब्राह्मण हैं. बसपा की निगाहें लगभग 4.5 लाख क्षत्रिय वोट पर हैं. निसंदेह बीजेपी के लिए यह शुभ खबर नहीं है.
योगी के बारे में अफवाह फैलाकर राजपूतों को भड़काने की कोशिश
भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट का एक विडियो वायरल हो रहा है. जिसमें कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी को 400 सीटें मिल जाती हैं तो उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ को हटा दिया जाएगा. किसान यूनियन के इस गुट में अधिकतर राजपूत समुदाय के लोग ही हैं. योगी आदित्यनाथ भी राजपूत समुदाय से आ हैं. हालांकि योगी हमेशा कहते रहे हैं कि योगी की कोई जाति नहीं होती. राजपूत संगठन के लोग संगीत सोम, सुरेश राणा , नरेंद्र तोमर आदि राजपूत नेताओं के साथ पिछले कुछ सालों में जो हुआ उसका डर दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसा ही योगी आदित्यनाथ के साथ भी होने वाला है. इसलिए बीजेपी को इस बार वोट नहीं देना है.दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं और बीजेपी को यूपी की सभी सीटें दिलाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं. इसके साथ ही राजपूतों को मनाने के लिए वेस्ट यूपी में कई बार राजपूत संगठन के लोगों से भी बातचीत कर चुके हैं. फिर भी अफवाहों का बाजार थमने का नाम नहीं ले रहा है.
राजपूतों की नाराजगी से पूर्वी यूपी में बीजेपी को फायदा
दूसरी ओर एक बात और कही जा रही है. नोएडा के एनसाइक्लोपीडिया के नाम से मशहूर पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि सभी राजनीतिक दल अपने हिसाब से अफवाहों का बाजार गरम कराते रहे हैं. राजपूतों की नाराजगी का असली फायदा बीएसपी को मिलने जा रहा है. शर्मा कहते हैं हो सकता है कि 10 से 20 पर्सेंट वोट पर असर पड़े, पर इसका फायदा भी बीजेपी को मिल सकता है. शर्मा कहते हैं कि पूर्वी यूपी में योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से कुछ ब्राह्मणों यूपी सरकार को लेकर नाराजगी रही है. अगर पश्चिम में राजपूतों की नराजगी की तस्वीर बनती है और यह संदेश जाता है कि राजपूत बीजेपी को वोट नहीं कर रहे हैं तो ब्राह्रणों की नाराजगी वाले वोट बीजेपी को मिलना तय हो जाएगा. इस तरह पूर्वी यूपी में बीजेपी से ब्राह्मणों की जो दूरी बन गई थी वह कम हो सकेगी.