रेल प्रोजेक्टों मेें पीछे इंदौर, पांच साल बाद भी दाहोद, सनावद, इंदौर रेलवे स्टेशन के प्रोजेक्ट अधूरे

इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट का काम भी मध्य प्रदेश के हिस्से में जमीन पर नहीं आ पाया, जबकि महाराष्ट्र में इसका काम शुरू हो चुका हैै। इंदौर से मनमाड़ के बीच 268 किलोमीटर में रेल लाइन बिछाई जाना है

पिछले लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने इंदौर के विकास को लेकर सब्जबाग दिखाए। रेल प्रोजेक्टों को समयसीमा में पूरा कराने के वादे किए, लेकिन हकीकत यह है कि पांच साल बीतने के बावजूद प्रोजेक्ट गति नहीं पकड़ पाए। सांसद शंकर लालवानी प्रोजेक्टों को पूरा कराने में नाकाम रहे। वे देरी की अलग-अलग वजह भी गिनाते है।

इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन इंदौर ही नहीं, मालवा निमाड़ के विकास को पंख लगा सकती है, लेकिन अभी तक उसका सर्वे ही हो रहा है, जबकि महाराष्ट्र वाले हिस्से में रेल लाइन का काम जारी है। पिछले लोकसभा चुनाव के समय मंत्री नितिन गडकरी ने उसका भूमिपूजन किया था,जबकि मध्य प्रदेश वाले हिस्से में जनप्रतिनिधि काम ही शुरू नहीं करा पाए। इंदौर-दाहोद अौर इंदौर-सनावद प्रोजेक्टों की गति भी धीमी है। इंदौर-देवास और उज्जैन लाइन के दोहरीकरण का काम ही पांच सालों में हो पाया।

दस साल से नहीं बन पाई सुरंग

इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट का भूमिपूजन 15 साल पहले यूपीए सरकार  के शासनकाल में हुआ,लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुुआ। पीथमपुर के समीप एक सुंरग का काम रेल विभाग दस साल में भी पूरा नहीं कर पाया। कभी सुरंग में पानी भर जाता है तो कभी मलबा। यदि इस टनल का काम पूरा होता तो इंदौर से धार तक ट्रेन का संचालन हो सकता था। इंदौर-दाहोद रेल परियोजना के पूरा होने से आदिवासी अंचल में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगी,लेकिन कई जगह पटरियां बिछाने का काम ही नहीं हो पाया।

महू सनावद ब्राॅडगेज का अलाइनमेंट बार-बार बदला

महू-सनावद सेक्शन में रेल विभाग ब्राॅडगेज का शुरू नहीं कर सका। पांच साल अलाइनमेंट तय करने में ही गुजर गए। बार बार प्रोजेक्ट की डिजाइन ढलान के कारण बदलती रही। अभी भूमि अधिग्रहण भी पूरा नहीं हुआ है। 71 किलोमीटर लंबे इस रेल खंड में 21 टनल बनाई जाना है। इसके अलावा 30 से ज्यादा ब्रिज और 12 अंडर ब्रिज भी बनाए जाना है। यह काम अगले सात आठ सालों में भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। तीन साल में रेल बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए ढाई हजार करोड़ रुपये मिल चुके है।

अभी बस डीपीआर तैयार

इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट का काम भी मध्य प्रदेश के हिस्से में जमीन पर नहीं आ पाया, जबकि महाराष्ट्र में इसका काम शुरू हो चुका हैै। इंदौर से मनमाड़ के बीच 268 किलोमीटर में रेल लाइन बिछाई जाना है।

इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो गई है,लेकिन नीति आयोग में फिलहाल प्रोजेक्ट अटका हैै। इंदौर रेलवे स्टेशन के निर्माण का प्रोजेक्ट भी तीन साल पहले तैयार हुआ था। तब योजना एक हजार करोड़ की थी, जो अब 300 करोड़ की हो गई। उसका काम भी शुरू नहीं हो पाया। आचार संहिता लगाने से पहले प्रोजेक्ट का भूमिपूजन ही हो सका।

कामों में गति नजर आएगी

सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि इंदौर-दाहोद रेल प्रोजेक्ट की लगातार निगरानी हो रही है। डेढ़ साल में काम पूरा हो जाएगा। महू- सनावद बाॅडगेज का सर्वे दोबारा मालगाडि़यों के आवागमन के हिसाब से कराया गया, ताकि ढलान कम हो और दो इंजन लगाने की जरुरत न पड़े। इस वजह से काम मेें देरी हुई है। इंदौर-दाहोद रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार हो चुकी है। जल्दी ही प्रोजेक्ट के मध्य प्रदेश वाले हिस्से के लिए भी राशि मंजूर हो जाएगी।

 

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