बंगलूरू में जल संकट गहरा गया है। यहां कई कामों में पेयजल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है। जल संकट का एक कारण पिछले साल कम बारिश होना है। कावेरी बेसिन के कई जलाशयों में जल स्तर कम हो गया है।
कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू जल संकट के दौर से गुजर रही है। देश की आईटी राजधानी कहे जाने वाले शहर में लोग पानी की बूंद-बूंद को भी तरस रहे हैं। हालात यहां तक आ गए हैं कि कर्नाटक जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने कई कामों में पेयजल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। आदेशों का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाने की बात भी कही गई है।
आइये जानते हैं कि बंगलूरू जल संकट क्या है? यह संकट कितना गहरा है? पानी की कमी का कारण क्या है? इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? आगे क्या होगा?
बंगलूरू जल संकट क्या है?
मेगासिटी बंगलूरू इस समय भीषण जल संकट के दौर से गुजर रहा है। अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि कर्नाटक जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने कई कामों में पीने के पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। कर्नाटक जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने कार धोने, बागवानी, निर्माण, पानी के फव्वारे और सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए पीने के पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर आदेश का उल्लंघन किया गया तो पांच हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।
शहर की सड़कों पर दिन रात टैंकर दौड़ रहे हैं। निजी जल टैंकर सेवाओं का कहना है कि वे पानी की मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। पानी के इन टैंकरों की कीमत पहले 400-600 रुपये होती थी, जो अब 800-2000 तक पहुंच गई है। आपूर्तिकर्ता बताते हैं कि स्थानीय जल स्रोतों के सूखने की वजह से उन्हें दूर दराज इलाकों से पानी लाना पड़ता है। पानी की किल्लत को देखते हुए लोग इसका अधिक भुगतान करने के लिए भी तैयार हैं।
उत्तरहल्ली इलाके के रहने वाले शरशचंद्र कहते हैं, ‘हमारा छह सदस्यों का परिवार हैं। भले ही हम सोच-समझकर उपयोग करें फिर भी पानी का एक टैंकर पांच दिनों तक चलता है। इसका मतलब है कि हमें एक महीने में छह टैंकर पानी की जरूरत है, जिसकी कीमत लगभग 9,000 रुपये प्रति माह होगी। हम इस तरह से पैसे कब तक खर्च कर सकते हैं?’
बंगलूरू का जल संकट कितना गहरा है?
शहर में लोगों की आम जिंदगी प्रभावित हो रही है। बंगलूरू जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अनुसार, बंगलूरू के बाहरी इलाके के लोग ज्यादा संघर्ष कर रहे हैं। ये वो इलाके हैं जहां कावेरी नदी से पाइप से पानी की आपूर्ति नहीं होती।
गर्मी के आने से पहले ही शहर में जल संकट गहरा गया है। कुछ इलाकों में हालात इतने खराब हो गए हैं कि यहां के कोचिंग सेंटर और स्कूल अपने बच्चों से घर पर ही रहकर क्लास लेने के लिए बोल रहे हैं। पिछले दिनों बंगलूरू के विजयनगर में स्थित एक कोचिंग सेंटर ने अपने छात्रों को एक सप्ताह के लिए ‘आपातकाल’ के कारण ऑनलाइन क्लास लेने के लिए कहा था। वहीं, शहर के बन्नेरघट्टा रोड पर एक स्कूल बंद हो गया। स्कूल प्रशासन ने छात्रों को वर्चुअल कक्षाओं में भाग लेने के लिए कहा।
बंगलूरू में बिगड़ते हालात का इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि कुमारकृपा रोड पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कार्यालय के अंदर पानी के टैंकर देखे गए। इतना ही नहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने हाल ही कहा था कि सदाशिवनगर नगर में स्थित उनके घर में बोरवेल सूख गया है। जबकि सदाशिवनगर सांकी झील के बगल में स्थित है।
बंगलूरू में जल संकट का कारण क्या है?
जल संकट का एक कारण पिछले साल कम बारिश होना है। भारतीय मौसम विभाग ने कम बारिश के लिए अल नीनो असर को जिम्मेदार ठहराया है। पर्याप्त बारिश नहीं होने से कावेरी नदी का जल स्तर गिर गया है। इस कमी का असर सिर्फ पीने के पानी पर ही नहीं पड़ता बल्कि सिंचाई पर भी पड़ रहा है। इसके अलावा, हाल के महीनों में बारिश की कमी के कारण बंगलुरु में बोरवेल सूख रहे हैं।
कर्नाटक समेत दक्षिणी भारत के राज्यों में फरवरी में बिलकुल भी बारिश नहीं हुई। इस बढ़ते तापमान के कारण बंगलूरू के लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
28 फरवरी तक कावेरी बेसिन के हरंगी, हेमवती, केआरएस और काबिनी जैसे जलाशयों में जल स्तर कम हो गया है। कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा प्रबंधन केंद्र ने हाल ही में बताया था कि इन जलाशयों की कुल क्षमता 114.57 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) है लेकिन वर्तमान में उनमें 44.65 टीएमसी ही पानी है।
स्थिति से निपटने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि राज्य के 136 तालुकों में से 123 तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है और 109 गंभीर रूप से प्रभावित हैं। कर्नाटक सरकार ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए तालुक स्तर के नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। क्षेत्र के विधायक के नेतृत्व में तालुक स्तर के टास्क फोर्स को पानी की आपूर्ति और मवेशियों के लिए चारे की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है।
उधर बंगलूरू विकास के प्रभारी डिप्टी सीएम शिवकुमार ने शहर में पानी की मांग को पूरा करने के लिए निजी टैंकरों और निजी बोरवेल को लेने की घोषणा की है। यहां तक कि दूध के टैंकरों का भी पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सरकार प्रति टैंकर पानी की दर तय करने पर भी विचार कर रही है।