लोकसभा चुनाव: उमर का महबूबा से गठबंधन से इनकार, बोले- पीडीपी के बजाय कांग्रेस के लिए छोड़ सकते हैं सीट

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी ने जम्मू कश्मीर में भाजपा को सत्ता में लाया और लोगों के जनादेश को धोखा दिया। पीडीपी के पास कोई विश्वसनीयता नहीं है। उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे के लिए पीडीपी से समझौता नहीं करेगी

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के लिए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ सीट साझेदारी के लिए गठबंधन करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह पीडीपी के साथ सीट बंटवारे के लिए समझौता नहीं करेंगे। एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए उमर ने ये बातें कहीं।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर उन्हें पहले यह कहा गया होता कि उन्हें नेकां की सीटें गंवा कर साझेदारी करनी पडे़गी तो उनकी पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल ही नहीं होती। उमर ने कहा कि अगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी कहते हैं कि कांग्रेस के लिए छोड़ दें तो वह पीडीपी के बजाय कांग्रेस को सीट देना छोड़ना पसंद करेंगे उन्होंने दावा किया है कि कांग्रेस नंबर दो पर है, जबकि पीडीपी तीसरे नंबर पर है।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में भाजपा को सत्ता में लाने और लोगों के जनादेश को धोखा देने के बाद पीडीपी के पास कोई विश्वसनीयता नहीं बची है। उमर अब्दुल्ला ने फिर कहा कि कश्मीर घाटी में सभी तीन लोकसभा सीटों पर नेकां स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी और अपने बल जीत दर्ज करेगी।

परिवारवाद वाले तंज पर बोले उमर- मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं

बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के पीएम मोदी पर परिवारवाद वाले तंज पर उमर ने कहा कि वह ऐसे व्यक्तिगत नारों के पक्ष में नहीं हैं। इनसे किसी तरह का लाभ नहीं मिलता। उमर अब्दुल्ला कहते हैं, “मैं कभी भी ऐसे नारों के पक्ष में नहीं रहा हूं और हमें उनसे कभी कोई फायदा नहीं हुआ है। जब भी हम ऐसे नारे लगाते हैं, तो इससे हमें नुकसान होता है। मतदाता इन सब से प्रभावित नहीं होते हैं, वे जानना चाहते हैं कि वर्तमान में उनके सामने जो समस्याएं हैं उनका समाधान कैसे होगा…हम वास्तव में ऐसे बयान देकर सेल्फ-गोल करते हैं या गोलकीपर को हटाते हैं और पीएम मोदी को गोल करने की अनुमति देते हैं।’

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हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

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