6 विधायक अयोग्य घोषित, 4 सीएम हाउस नहीं पहुंचे… नाश्ते पर फिर बिगड़ गया सुक्खू सरकार का गणित

हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस का गणित फिर बिगड़ गया है. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले छह विधायक पहले से ही पंचकूला में डेरा डाले हैं जिन्हें स्पीकर ने सदन की सदस्यता के अयोग्य घोषित कर दिया है. वहीं चार विधायकों ने सीएम हाउस में आयोजित ब्रेकफास्ट से दूरी बना ली है.

हिमाचल प्रदेश में सियासी रस्साकशी जारी है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद को योद्धा बताते हुए पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के दावे कर रहे हैं, शिमला से दिल्ली तक नंबरगेम और सरकार बचाने के रास्तों पर मंथन का दौर चल रहा है. विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफा वापस लेने की खबरें आईं और यह तक कहा जाने लगा कि शायद अब सुक्खू सरकार का संकट टल जाए.

विक्रमादित्य के इस्तीफे को लेकर फिर यह कहा गया कि इसे स्वीकार नहीं किया गया है. मान-मनौव्वल का दौर जारी है, सभी विकल्पों पर विचार जारी है और इन सबके बीच सीएम हाउस में नाश्ते पर सुक्खू सरकार का गणित फिर बिगड़ गया है.

कांग्रेस की लाइन से हटकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले छह विधायक पहले से ही हरियाणा के पंचकूला में डेरा डाले हुए हैं. कांग्रेस के इन सभी बागियों पर स्पीकर ने एक्शन ले लिया है. स्पीकर ने इन सभी को विधानसभा की सदस्यता से अयोग ठहरा दिया है.

एक तरफ एक्शन तो दूसरी तरफ बातचीत के जरिए संकट का समाधान तलाशने की कोशिश में भी कांग्रेस जुटी हुई है. अब सीएम सुक्खू की ब्रेकफास्ट पॉलिटिक्स से भी विक्रमादित्य समेत चार विधायकों ने किनारा कर लिया है. हिमाचल में बिगड़ते नंबरगेम के बीच कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को सीएम हाउस में नाश्ते पर बुलाया था.

बताया जाता है कि कांग्रेस के चार विधायक विक्रमादित्य सिंह, मोहन लाल, नंद लाल और धनिराम ने सीएम हाउस में आयोजित नाश्ते से किनारा कर लिया. ये चार विधायक सीएम हाउस में आयोजित नाश्ते पर नहीं पहुंचे.

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के 48 घंटे के भीतर ही स्पीकर ने 6 विधायकों पर एक्शन ले लिया है. स्पीकर ने इन सभी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया है. इसके साथ ही अब सदन की स्ट्रेंथ 62 हो गई है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा भी 32 पर आ गया है.

कल तक की जो तस्वीर थी, 6 बागियों और एक विक्रमादित्य को मिलाकर सात हटा दें तो भी कांग्रेस के पास 33 विधायक थे और अयोग्यता की कार्यवाही के बाद पार्टी बहुमत के आंकड़े के पार नजर आ रही थी. लेकिन अब तीन विधायकों की सीएम हाऊस पर नाश्ते से दूरी से यह गणित फिर गड़बड़ हो गया है.

जो विधायक नाश्ते पर नहीं पहुंचे, उनको भी हटा दें तो सुक्खू सरकार के पास फिलहाल 30 विधायक हैं जो बदली परिस्थितियों में बहुमत के लिए जरूरी 32 के आंकड़े से दो कम है.

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हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

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