IGNTU बचाओ समिति का आंदोलन तेज, समाधान न मिलने पर छात्र छात्राएं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
अमरकंटक
अमरकंटक :- IGNTU (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय) में हालातों को सुधारने की मांग को लेकर IGNTU बचाओ समिति द्वारा दिनांक 13.11.2024 को तिरंगा यात्रा निकालकर विश्वविद्यालय में लंबे समय से चली आ रही विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु ज्ञापन सौंपने उनकी यात्रा लालपुर गाँव से शुरू होकर विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करते हुए सीधे एडमिनिस्ट्रेशन भवन तक पहुंची। यात्रा के दौरान कई छात्रों और स्थानीय नागरिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। हालांकि, विश्वविद्यालय की ओर से किसी जिम्मेदार अधिकारी ने ज्ञापन को स्वीकार नहीं किया।
अंततः igntu बचाओ समिति द्वारा विश्वविद्यालय के कुलसचिव के नाम नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। समिति के अनुसार 02 दिनों में उनकी मांगों का समाधान नहीं होने पर समिति द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठने का फैसला किया गया था, साथ ही समिति ने प्रशासन को चेतावनी भी दी थी कि मांगों की अनदेखी गंभीर परिणाम ला सकती है
जिसके बाद 02 दिन बाद भी समिति की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेखित समस्याओं का समाधान नहीं होने पर विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं मुख्य गेट के सामने अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठ गए है। ज्ञापन में निम्नलिखित महत्वपूर्ण मांगो का उल्लेख किया गया था,
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जिसमें गौरेला, अमरकंटक एवं राजेंद्रग्राम से विश्वविद्यालय की बस पुनः शुरू की जाए।
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क्षेत्रीय विद्यार्थियों को भी छात्रावास आवंटित किया जाए।
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सभी मेस का टेंडर किया जाए ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके।
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छात्रावास के छात्रों से शासन द्वारा जो 1000 रुपये की अवैध वसूली की गई है, उसे वापस किया जाए।
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विश्वविद्यालय का केंद्रीय पुस्तकालय 24 घंटे खोला जाए।
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छात्राओं का छात्रावास से बाहर रहने का समय बढ़ाया जाए क्योंकि परिसर में सुरक्षा का प्रश्न नहीं उठता।
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“ग्लूट नर्मदा” नामकरण को वापस लिया जाए, जो माँ नर्मदा की भक्ति के साथ खिलवाड़ है।
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नर्मदा शोध छात्रावास का गैरकानूनी कब्जा समाप्त कर उसे वापस छात्रावास बनाया जाए। CUET परीक्षा केंद्र की स्थापना विश्वविद्यालय में की जाए ताकि स्थानीय विद्यार्थियों को लाभ मिल सके।
विश्वविद्यालय में कार्यरत क्षेत्रीय सुरक्षा कर्मियों एवं हाउसकीपिंग स्टाफ को नियमित किया जाए। छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश बोर्ड से 12वीं पास विद्यार्थियों का स्नातक में 40% कोटा तय किया जाए।
विश्वविद्यालय में चल रही गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती पर तत्काल रोक लगाई जाए और पहले स्थानीय कोटा तय किया जाए फिर भर्ती की जाए। छात्र प्रतिनिधि का कहना है कि विश्वविद्यालय के भविष्य को बचाने के लिए यह अनिश्चितकालीन आंदोलन आवश्यक हो गया है, और हम अपनी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखेंगे।