कैसरगंज से बृजभूषण के बेटे को टिकट, BJP ने रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को उतारा

बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से मैदान में उतारा है. वहीं रायबरेली सीट दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दी गई है. बता दें कि कैसरगंज और रायबरेली सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर कई तरह की चर्चा चल रही थी. बीजेपी ने उम्मीदवारों की 17वीं लिस्ट में अपने पत्ते खोल दिए हैं.
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को उम्मीदवारों की 17वीं लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में बहु प्रतीक्षित रायबरेली सीट और कैसरगंज के उम्मीदवारों के नाम से पत्ते खुल गए हैं. जैसी कि चर्चा थी, उसी के अनुसार कैसरगंज सीट से पार्टी ने बृजभूषण के बेटे करण भूषण को टिकट दी गई है. वहीं पार्टी ने रायबरेली के उम्मीदवार के नाम का भी खुलासा कर दिया है. पार्टी ने यहां दिनेश प्रताप सिंह को उतारा है

कौन हैं करण भूषण सिंह

बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से मैदान में उतारा है. दरअसल  करण भूषण सिंह (Karan Bhushan Singh) बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे हैं. 13 दिसंबर 1990 को जन्मे करण भूषण एक बेटी और एक बेटे  के पिता हैं. वह डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, करण भूषण ने डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से बीबीए व एलएलबी की डिग्री हासिल की है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया से  बिजनेस मैनेजमेंट का डिप्लोमा भी किया है. वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. साथ ही सहकारी ग्राम विकास बैंक (नवाबगंज, गोण्डा) के अध्यक्ष भी हैं. यह उनका पहला चुनाव है.

करन भूषण के बड़े भाई बीजेपी विधायक

मालूम हो कि फरवरी, 2024 में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण को उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ का अध्यक्ष गया था. अब वह लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं.  वहीं, करण भूषण के बड़े भाई प्रतीक भूषण सिंह बीजेपी के विधायक हैं.

दिनेश प्रताप सिंह कौन हैं?

ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं. पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई .

कांग्रेस में मिली ख्याति

कांग्रेस पार्टी में दिनेश प्रताप को कद, पद और ख्याति, तीनों ही मिले. पहली बार 2010 में एमएलसी बने और 2011 में उनकी भाभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. फिर 2016 में दोबारा एमएलसी बने और इनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष बने. उनके एक भाई 2017 में हरचंदपुर से कांग्रेस पार्टी से  विधायक बने. फिर 2019 के आते-आते इनका कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया और ये बीजेपी में शामिल हो गए

2019 में रायबरेली से थे प्रत्याशी, सोनिया गांधी से हारे

बीजेपी में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए. सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी। दिनेश प्रताप सिंह 3,67,740 वोट हासिल करने में कामयाब रहे, वहीं सोनिया गांधी 5,34,918 वोटों के साथ फिर से सीट जीतने में कामयाब रही थीं. इस सीट पर सपा और बसपा ने उनका समर्थन किया था.

उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया और इस वक्त उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र राज्य मंत पर काम कर रहे हैं और आज इनका नाम एक बार फिर भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर घोषित किया गया है

Leave a Comment

और पढ़ें

हम आपको बता दें कि गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है। इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प, समर्पण, संघर्ष” होगा। इस अधिवेशन के जरिए जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे।

error: Content is protected !!